कहीं इस वजह से तो मां नहीं बन पा रहीं आप

कहीं इस वजह से तो मां नहीं बन पा रहीं आप

कहते हैं मां बनना हर महिला के लिए कुदरत के वरदान की तरह होता है। आम तौर पर प्रकृति हर महिला को ये सुख देती है मगर आज के दौर में ऐसी महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है जो तमाम प्रयास के बावजूद प्राकृतिक रूप से मां नहीं बन पा रहीं। महिलाओं के गर्भ धारण नहीं कर पाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं मगर इनमें भी एक बड़ा कारण है अंडाशय यानी ओवरी में छोटी-बड़ी कई गांठें बनने की समस्या। इन्हें चिकित्सीय भाषा में पीसीओ यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम कहते हैं। इस समस्या का प्रसार कितना बड़ा है इसे एक तथ्य से समझा जा सकता है कि भारत में हर 10 में से एक महिला इससे पीड़ित है। पीसीओ सोसायटी द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। खास बात ये है कि इस समस्या से ग्रसित हर 10 महिला में से छह किशोर वय की युवतियां हैं। यही नहीं देश के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्‍थान एम्स के एंडोक्रायनोलॉजी और मेटाबोलिज्म विभाग द्वारा गराए गए अध्ययन में यह भी पता चला है कि बच्चा जनने योग्य उम्र वाली महिलाओं में से 20 से 25 पीसीओ से पीड़ित होती हैं।

दरअसल पीसीओ से पीड़ित महिलाओं में आम महिलाओं के मुकाबले इंसुलीन की मात्रा आम तौर पर अधिक पाई जाती है। इंसुलीन की इस बढ़ी मात्रा के कारण इन महिलाओं के अंडाशय से टेस्टोस्टेरोन जैसे एंड्रोजीन का उत्पादन अधिक होने लगता है। इसके कारण ये महिलाएं मोटापे की समस्या से ग्रस्त हो जाती हैं जो कि इस बीमारी को और बढ़ा देता है। यदि समय रहते पीसीओ की जांच कर उसकी रोकथाम नहीं की गई तो महिलाओं में बांझपन तथा अन्य दीर्घावधि की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

इंफर्टिलिटी और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. कुलदीप जैन के अनुसार पीसीओ से ग्रस्त महिलाओं के अंडाशय में बड़ी गांठ या सिस्ट बनने का खतरा रहता है क्योंकि इस समस्या के कारण ओवरी से समय पर अंडे रिलीज नहीं हो पाते। इसके कारण ये फॉलिकल बड़े होते जाते हैं कई सारे सिस्ट बना देते हैं। ऐसी महिलाएं जिनकी मां या बहन इस समस्या से ग्रस्त होती हैं उनमें इस बीमारी के विकसित होने की आशंका ज्यादा होती है। इसके लक्षण पहचानना आसान है। यदि किसी महिला को ये समस्या है तो उसका वजन अचानक बढ़ सकता है, उसे हमेशा थकान लगी रहेगी, शरीर में अनचाहे बाल निकलने लगते हैं, गर्भधारण में दिक्कत होती है, पेल्व‌िक क्षेत्र में दर्द होता है, सिरदर्द और नींद आने में परेशानी होने लगती है। महिलाओं में यौवन के आरंभ के साथ ये लक्षण उभर सकते हैं। इसके कारण कम उम्र की युवतियों को अनियमित माहवारी या माहवारी में रूकावट, माहवारी के दौरान तेज रक्तस्राव या फिर गंधयुक्त रक्तस्राव की समस्या होने लगती है। यही नहीं पीसीओ दूसरी बीमारियों को भी न्योता देता है जिसमें उच्च रक्तचाप, हाई कोलेस्ट्रोल, एंजाइटी और अवसाद, नींद में सांस कम आना, हार्ट अटैक और डायबिटीज के अलावा गर्भाशय, अंडाशय और स्तन कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां शामिल हैं।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर के.के. अग्रवाल कहते हैं कि यूं तो पीसीओ को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता मगर इसका पता चलने पर जीवनशैली में कुछ बदलावों के जरिये इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इसके तहत वजन में 5 से 10 फीसदी की कमी लाना और स्वास्‍थ्यकर भोजन करना जैसे उपाय शामिल हैं। नियमित व्यायाम के जरिये शरीर में शुगर की मात्रा नीचे रखने के साथ-साथ माहवारी को भी नियमित रखा जा सकता है। जहां तक भोजन की बात है तो खाने में हाई फाइबर जैसी चीजों जैसे ब्रोकली, फूल गोभी, पालक, बादाम, अखरोट के अलावा ओमेगा 3 फैटी एसिड की प्रचूरता वाली चीजें लेनी चाहिए। दिन में तीन बार ज्यादा-ज्यादा खाने के बदले पांच बार थोड़ा-थोड़ा करके खाएं।

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